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डमरू घनाक्षरी




 डमरू घनाक्षरी

     मात्रारहित 8 8 8 8 वर्ण


चल शिवपथ पर, परहित कर कर;

कदम-कदम पर, धरम पथिक बन।


तन मन धन बल, सकल परसपर:

जनहितकर कर, चल शिवमय सन।


करम प्रबल कर, हरण करहु दुख;

शरम त्यजन कर, बन शुभ प्रिय जन।


वचन रचन कर, अति प्रिय मनहर;

सजल नयन कर, करुण करहु मन।


सरस सलिल बन, बहत चलत रह;

गगन अमित बन, दिख मह मधुवन।


अमर सुघर घन,बरस बरस नित;

शबद  मधुर कह, रच सम मधु ध्वन।






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1 Comments

Renu

25-Jan-2023 03:55 PM

👍👍🌺

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